60 Hajar do Mark Sheet Lo, फर्जीवाड़ा करके डुप्लीकेट मार्कशीट गुजरात के सूरत में बेची जा रही हैं, जिसका कनेक्शन फरीदाबाद से जुड़ा है। सूरत के रहने वाले अक्षर भरतभाई कथादतिया को कुछ समय पहले केरल के तिरुवनंतपुरम में हिरासत में लिया गया था। अक्षर पर डुप्लीकेट मार्कशीट रखने का आरोप था,
जिसे उन्होंने इटली की यात्रा के लिए तैयार किए गए दस्तावेजों में शामिल किया था। इस मामले में जमानत मिलने के बाद, अक्षर की मां ने सूरत की यात्रा की और स्थानीय सिंगापुर पुलिस स्टेशन में आवेदन दिया, और अधिकारियों को बताया कि उनके बेटे ने वह मार्कशीट नहीं बनाई थी जो उसके पास से बरामद की गई थी, बल्कि यह नीलेश सावलिया नाम के किसी व्यक्ति द्वारा बनाई गई थी।
पकड़े गए अक्षर की मां ने खोला राज – 60 Hajar do Mark Sheet Lo
जब सिंगणपुर पुलिस ने अक्षर की मां के आवेदन पर गौर करना शुरू किया तो नीलेश सावलिया को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि फरीदाबाद से
मनोज कुमार नाम का एक व्यक्ति कूरियर के माध्यम से देश के शैक्षिक बोर्डों और विश्वविद्यालयों से डुप्लिकेट मार्कशीट प्राप्त करता है और उन्हें नकदी के बदले में जरूरतमंदों को देता है (60 Hajar do Mark Sheet Lo)।
137 नकली मार्कशीट पकड़ी
इस जानकारी के बाद, सिंगणपुर पुलिस ने नीलेश सावलिया के छिपने के ठिकाने पर छापा मारा और 137 डुप्लीकेट मार्कशीट जब्त कर लीं, जो गुजरात सहित देश भर के शैक्षिक बोर्डों और विश्वविद्यालयों के नाम पर बनाई गई थीं। इस मामले में नीलेश सावलिया को पुलिस ने विधिवत हिरासत में लिया है।
नीलेश सावलिया डुप्लीकेट मार्कशीट का करता था धंदा
यह वही नीलेश सावलिया है, जिसे पुलिस ने पकड़ रखा है, जो कई वर्षों तक विभिन्न राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक बोर्डों के नाम वाली फर्जी ग्रेडशीट बनाकर बेचता था।
नीलेश सावलिया से संबंधित एक आवेदन प्राप्त होने के बाद, सिंगणपुर पुलिस ने इसमें शामिल दावों की जांच शुरू की। जांच से पता चला कि नीलेश सांवलिया वास्तव में नकली मार्कशीट बनाने और दोबारा बेचने का कारोबार करता है।
60 Hajar do Mark Sheet Lo कालाबाजार गुजरात से हरियाणा तक फैला है
डुप्लीकेट मार्कशीट सूरत निवासी नीलेश सावलिया ने फरीदाबाद निवासी मनोज कुमार से तैयार कर मंगवाई थी। इसके बाद नीलेश ने मार्कशीट को इच्छुक पार्टियों को अच्छी खासी रकम पर बेच दिया।
13 साल से चल रहा था डुप्लीकेट मार्कशीट का धंदा
इस मामले की जानकारी देते हुए सूरत पुलिस के डीसीपी पिनाकिन परमार ने बताया कि 2011 से फरीदाबाद के मनोज कुमार और सूरत के नीलेश सावलिया एक-दूसरे के संपर्क में थे।
मनोज कुमार विभिन्न बोर्डों और विश्वविद्यालयों से प्रतिलेख संकलित करते थे और उन्हें कूरियर द्वारा सूरत भेजते थे, जहां से नीलेश सावलिया वंचितों को डुप्लिकेट वितरित करते थे। पिछले 13 साल से सूरत के सिंगनपोर इलाके में डुप्लीकेट मार्कशीट का गुप्त ऑपरेशन चल रहा था और इसकी जानकारी न तो पुलिस को थी और न ही किसी और को।
हो सकता है बड़ा खुलासा
माना जाता है कि फ़रीदाबाद के निवासी मनोज कुमार, नीलेश सावलिया के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य व्यक्तियों के संपर्क में थे, जो लंबे समय से देश भर में डुप्लिकेट मार्कशीट बनाने के अवैध काम में शामिल थे। कौन जानता है कि कितने लोगों ने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डुप्लिकेट ग्रेड शीट का उपयोग किया।
अगर कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस पर गौर करे तो फरीदाबाद में मनोज कुमार के नेटवर्क की अंतरराज्यीय प्रकृति का खुलासा हो सकता है।